बर्षे भेल बनेर मलाई बगायो कसैले,...!
थिए मुटुको कुनामा भगायो कसैले,...!!
बिन्ति बिसाए मानिनौ तर पनि,...!
दोषि थिएन दोष लगायो कसैले,...!!
तिमि नहुदा दियो निभ्छ भन्ने छैन,...!
तेल माथि तेल राख्दै जगायो कसैले,...!!
कति बाच्ने तिम्रो यादमा तड्पिएको थियो,...!
अन्तै नाता जोँडौ तर सगायो कसैले,...!!
गहना अस्तित्व बेच्दै हिड्ने मान्छे लाई,...!
पैसामा बिक्ने मन मगायो कसैले,...!!
गोबिन्द चन्द सोडारी"समर्पण" कालागाउं ६ अछाम
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